यूपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पुराने संघी हैं और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं। बाद में वह बीजेपी के सक्रिय सदस्य बन गये। पार्टी ने उन्हें तीन बार यूपी के कोलासला निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा का टिकट दिया। अजय राय तीनों बार चुनाव में जीत हासिल की। बाद में उन्होंने लोकसभा का भी टिकट मांगा, लेकिन पार्टी ने नहीं दिया तो ये नाराज हो गये। इसके बाद वे 2009 में पार्टी छोड़ दिए और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये। समाजवादी पार्टी ने उन्हें वाराणसी से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन वे हार गये।

पांच बार रहे बीजेपी से विधायक, 2012 में हुए कांग्रेस में शामिल

अजय राय कुल पांच बार विधायक रहे। 2012 में वे कांग्रेस में शामिल हो गये। पार्टी ने उन्हें पिंडरा से टिकट दिया, लेकिन वे हार गये। 2014 और 2019 में कांग्रेस ने उन्हें वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन वे दोनों बार हार गये। 2023 में पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। इस बार 2024 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें फिर से वाराणसी से ही बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिकट दिया है।

वाराणसी के बाहुबली की रही है पहचान, हिस्ट्रीशीटर भी रहे हैं

अजय राय का जन्म 7 अक्टूबर 1969 को वाराणसी में पार्वती देवी राय और सुरेंद्र राय के घर एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था जो गाज़ीपुर जिले के मूल निवासी थे। शुरू में उनकी पहचान स्थानीय बाहुबली के रूप में थी और वह एक हिस्ट्रीशीटर रहे है। 1994 में कथित तौर पर मुख्तार अंसारी और उनके लोगों ने वाराणसी के लहुराबीर इलाके में उनके बड़े भाई अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद अजय राय ब्रिजेश सिंह के सहयोगी बन गए। इससे पहले, वह 1989 से कई आपराधिक मामलों में ब्रिजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह के साथ जुड़े हुए थे।

1991 में वाराणसी के डिप्टी मेयर अनिल सिंह पर हुए हमले में उनका नाम आया था। अपनी एफआईआर में अनिल सिंह ने कहा था कि 20 अगस्त 1991 को कैंटोनमेंट इलाके में अजय राय और अन्य लोगों ने उनकी जीप पर फायरिंग की थी। बाद में राय को मामले से बरी कर दिया गया।

वाराणसी में सातवें फेज में एक जून को मतदान होगा। यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार बीजेपी उम्मीदवार हैं। पिछली दो बार उन्होंने अजय राय को ही हराया था। इस बार पार्टी की योजना उनको रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाने की है।